हुस्न होकर जवान लिक्खेगा ।
इश्क़ की दास्तान लिक्खेगा ॥
आज आशिक़ सनम को मेहर में ।
सातवा आसमान लिक्खेगा ॥
अब्र भी बर्क़ को हिदायत में ।
एक मेरा मकान लिक्खेगा ॥
कुछ न होगा तेरी सदाक़त का ।
जब वो झूठा बयान लिक्खेगा ॥
बोलिये आप जो भी बोलेंगे ।
वो ही ये बेज़ुबान लक्खेगा ॥
किसकी क़िस्मत में कितने दाने हैं ।
ये तो कोई किसान लिक्खेगा ॥
'सैनी' अपने क़लम से दुन्या में ।
मुल्क की आन-बान लिक्खेगा ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
इश्क़ की दास्तान लिक्खेगा ॥
आज आशिक़ सनम को मेहर में ।
सातवा आसमान लिक्खेगा ॥
अब्र भी बर्क़ को हिदायत में ।
एक मेरा मकान लिक्खेगा ॥
कुछ न होगा तेरी सदाक़त का ।
जब वो झूठा बयान लिक्खेगा ॥
बोलिये आप जो भी बोलेंगे ।
वो ही ये बेज़ुबान लक्खेगा ॥
किसकी क़िस्मत में कितने दाने हैं ।
ये तो कोई किसान लिक्खेगा ॥
'सैनी' अपने क़लम से दुन्या में ।
मुल्क की आन-बान लिक्खेगा ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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