Thursday, 5 December 2013

कोई किसान लिक्खेगा

 हुस्न होकर जवान लिक्खेगा ।
 इश्क़ की दास्तान  लिक्खेगा ॥

आज आशिक़ सनम को मेहर में ।
सातवा आसमान लिक्खेगा ॥

अब्र भी बर्क़ को हिदायत में ।
एक मेरा मकान लिक्खेगा ॥

कुछ न होगा तेरी सदाक़त का ।
जब वो झूठा बयान लिक्खेगा ॥

बोलिये आप जो भी बोलेंगे ।
वो ही ये बेज़ुबान लक्खेगा ॥

किसकी क़िस्मत में कितने दाने हैं ।
ये तो कोई किसान लिक्खेगा ॥

'सैनी' अपने क़लम से दुन्या में ।
मुल्क की आन-बान लिक्खेगा ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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