ख़तरे जैसी बात न कर ।
डरने जैसी बात न कर ॥
दिल से करदे आज अता ।
धोखे जैसी बात न कर ॥
आलिम-फ़ाज़िल लोग सभी ।
ठगने जैसी बात न कर ॥
है ग़म का माहौल यहाँ ।
हँसने जैसी बात न कर ॥
ख़तरे में है आज अवाम ।
बँटने जैसी बात न कर ॥
छोटी सी बातों में कभी ।
मिटने जैसी बात न कर ॥
नाज़ुक दिल है मेरा बहुत ।
नख़रे जैसी बात न कर ॥
सबसे ऊंचा तेरा ज़मीर ।
बिकने जैसी बात न कर ॥
'सैनी' के घर में तू कभी ।
परदे जैसी बात न कर ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
डरने जैसी बात न कर ॥
दिल से करदे आज अता ।
धोखे जैसी बात न कर ॥
आलिम-फ़ाज़िल लोग सभी ।
ठगने जैसी बात न कर ॥
है ग़म का माहौल यहाँ ।
हँसने जैसी बात न कर ॥
ख़तरे में है आज अवाम ।
बँटने जैसी बात न कर ॥
छोटी सी बातों में कभी ।
मिटने जैसी बात न कर ॥
नाज़ुक दिल है मेरा बहुत ।
नख़रे जैसी बात न कर ॥
सबसे ऊंचा तेरा ज़मीर ।
बिकने जैसी बात न कर ॥
'सैनी' के घर में तू कभी ।
परदे जैसी बात न कर ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment