Tuesday, 24 December 2013

ख़तरे जैसी बात न कर

ख़तरे जैसी बात न कर ।
डरने जैसी बात न कर ॥

दिल से करदे आज अता ।
धोखे  जैसी बात न कर ॥

आलिम-फ़ाज़िल लोग सभी ।
ठगने जैसी बात न कर ॥

है ग़म का माहौल यहाँ ।
हँसने जैसी बात न कर ॥

ख़तरे में है आज अवाम ।
बँटने जैसी बात न कर ॥

छोटी सी बातों में कभी ।
मिटने जैसी बात न कर ॥

नाज़ुक दिल है मेरा बहुत ।
नख़रे जैसी बात न कर ॥

सबसे ऊंचा तेरा ज़मीर ।
बिकने जैसी बात न कर ॥

'सैनी' के घर में तू कभी ।
परदे जैसी बात न कर ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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