किसी ने प्यार से महका गुलाब भेजा है ।
बड़े ख़ुलूस से ख़त का जवाब भेजा है ॥
कहीं पे उनको गिरानी है आज तो बिजली ।
फ़लक से चाँद ने उनको शबाब भेजा है ॥
सुना है क़र्ज़ वो रखते नहीं किसी का भी ।
मेरी वफाओं का सारा हिसाब भेजा है ॥
लिखूं मैं कुछ तो सिफ़ारिश किताब पे उनकी ।
तभी तो एक क़लम -मय -किताब भेजा है ॥
हया के पीछे छुपा रक्खी शोखियाँ सारी ।
ख़ुदा ने ख़ास ये देकर हिजाब भेजा है ॥
कहा है रोज़ ही मुझसे मिला करेंगे वो ।
दिखा के मुझको नया आज ख़ाब भेजा है ॥
जला न दे कहीं ये धूप गोरे गालों को ।
हवा ने साये की ख़ातिर सहाब भेजा है ॥
बना हूँ मैं तो आज एक नामवर आशिक़ ।
ये दोस्तों ने मुझे अब ख़िताब भेजा है ॥
बड़े ग़ज़ब का मुक़द्दर दिया इलाही ने ।
बना के 'सैनी' को ख़ाना -ख़राब भेजा है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
बड़े ख़ुलूस से ख़त का जवाब भेजा है ॥
कहीं पे उनको गिरानी है आज तो बिजली ।
फ़लक से चाँद ने उनको शबाब भेजा है ॥
सुना है क़र्ज़ वो रखते नहीं किसी का भी ।
मेरी वफाओं का सारा हिसाब भेजा है ॥
लिखूं मैं कुछ तो सिफ़ारिश किताब पे उनकी ।
तभी तो एक क़लम -मय -किताब भेजा है ॥
हया के पीछे छुपा रक्खी शोखियाँ सारी ।
ख़ुदा ने ख़ास ये देकर हिजाब भेजा है ॥
कहा है रोज़ ही मुझसे मिला करेंगे वो ।
दिखा के मुझको नया आज ख़ाब भेजा है ॥
जला न दे कहीं ये धूप गोरे गालों को ।
हवा ने साये की ख़ातिर सहाब भेजा है ॥
बना हूँ मैं तो आज एक नामवर आशिक़ ।
ये दोस्तों ने मुझे अब ख़िताब भेजा है ॥
बड़े ग़ज़ब का मुक़द्दर दिया इलाही ने ।
बना के 'सैनी' को ख़ाना -ख़राब भेजा है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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