Friday, 27 December 2013

लब -ओ-रुख़सार की बातें

क़लम लिखता नहीं मेरा लब -ओ-रुख़सार  की बातें ।
निकलती हैं फ़क़त इससे  ख़ुलूस -ओ-प्यार की बातें ॥

अगर मैं प्यार करता हूँ तो बस मैं प्यार करता हूँ ।
नहीं मैं प्यार में करता हूँ कारोबार की बातें ॥

मेरा तो काम दुन्या भर के लोगों को जगाना है ।
बक़ाया काम है सरकार का सरकार की बातें ॥

गगन के चाँद को देखूँ या फिर मैं आपको देखूँ ।
उधर हलकान करती हैं दिल -ए -बीमार की बातें ॥

ज़ियादा तूल मत देना लगाना अक़्ल अपनी भी ।
बड़ी ही चटपटी होती हैं ये अख़बार की बातें ॥

लगाऊँ क्या भला अंदाज़ मैं तेरी मुहब्बत का ।
हमेशा ही रही मुझसे तेरी तक़रार की बातें ॥

मुहब्बत के समुंदर में लगा बैठे सभी डुबकी ।
सुना कर आज जब 'सैनी'गया दिलदार की बातें ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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