Monday, 7 October 2013

समझता नहीं

वो इशारा समझता नहीं ।
प्यार दिल का समझता नहीं ॥

कब से प्यासा हूँ दीदार का ।
दर्द मेरा समझता नहीं ॥

उसको कैसे दिलाऊँ  यक़ीन ।
मुझको अपना समझता नहीं ॥

सब ही कहते हैं उसको बुरा ।
मैं तो एसा समझता नहीं ॥

लालची हो गया है बशर ।
हक़ किसी का समझता नहीं ॥

ताल देता है सुन कर वो बात ।
वज़्न उसका समझता नहीं ॥

बेसुरा राग 'सैनी' का है ।
पर बेचारा समझता नहीं ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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