सैंकड़ो बात बोल कर जाए ।
प्यार की बात गोल कर जाए ॥
रोज़ की राज़ ख़ाब में आकर ।
मुझसे आकर मखौल कर जाए ॥
उसको पहचानना बड़ा मुश्किल ।
क्या ग़ज़ब का वो रोल कर जाए ॥
जब भी आये हवा-हवाई वो ।
मुझको सारा टटोल कर जाए ॥
मेरे चेहरे को पैनी नज़रों से ।
इक हसीं नाप-तौल कर जाए ॥
मेरे मन की तमाम गांठों को ।
कोई तो आज खोल कर जाए ॥
जो भी इतिहास लिख रहा 'सैनी'.
वो उसे ही भूगोल कर जाए ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
प्यार की बात गोल कर जाए ॥
रोज़ की राज़ ख़ाब में आकर ।
मुझसे आकर मखौल कर जाए ॥
उसको पहचानना बड़ा मुश्किल ।
क्या ग़ज़ब का वो रोल कर जाए ॥
जब भी आये हवा-हवाई वो ।
मुझको सारा टटोल कर जाए ॥
मेरे चेहरे को पैनी नज़रों से ।
इक हसीं नाप-तौल कर जाए ॥
मेरे मन की तमाम गांठों को ।
कोई तो आज खोल कर जाए ॥
जो भी इतिहास लिख रहा 'सैनी'.
वो उसे ही भूगोल कर जाए ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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