Tuesday, 29 October 2013

गोल कर जाए

सैंकड़ो बात बोल कर जाए ।
प्यार की बात गोल कर जाए ॥

रोज़ की राज़ ख़ाब में आकर ।
मुझसे आकर मखौल कर जाए ॥

उसको पहचानना बड़ा मुश्किल ।
क्या ग़ज़ब का वो रोल कर जाए ॥

जब भी आये हवा-हवाई वो ।
मुझको सारा टटोल कर जाए ॥

मेरे चेहरे को पैनी नज़रों से ।
इक हसीं नाप-तौल कर जाए ॥

मेरे मन की तमाम गांठों को ।
कोई तो आज खोल कर जाए ॥

जो भी इतिहास लिख रहा 'सैनी'.
वो उसे ही भूगोल कर जाए ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

No comments:

Post a Comment