Wednesday, 27 November 2013

उकता गए हैं वो

अब हर घड़ी के प्यार से उकता गए हैं वो ।
तक़रार थोड़ी कीजिये पास आ गए हैं वो ॥

दिन भर की दौड़- धूप  से चेहरे पे है थकान ।
आराम करने दो   उन्हें कुम्हला गए हैं वो ॥

ये यकबयक क्यूँ आ गयी तुर्शी मिज़ाज में ।
मेरी ज़रा सी बात पर बौरा  गए हैं वो ॥

रख कर निक़ाब ताक़ पर महफ़िल में हुस्न की ।
परचम ग़ुरूर-ए -हुस्न का लहरा गए हैं वो ॥

अब प्यास बढ़ती जाए है उम्र-ए -रवाँ  के साथ ।
पैमाने में बची थी जो छलका गए हैं वो ॥

कब क्या हुआ कैसे हुआ ये मुझसे पूछिए ।
इक दर्द रोम-रोम में सरका गए हैं वो ॥

आँखों से उनकी पी चुका 'सैनी' बहुत शराब।
अब बस भी यार कीजिये घबरा गए हैं वो ॥

डा०सुरेन्द्र सैनी  

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