Monday, 25 November 2013

कैसा प्यार करते हैं

वो हमें कैसा प्यार करते हैं ।
पीठ पीछे से वार करते हैं ॥

आ गया जो ज़बान पर जुमला ।
पेश उसे बार-बार करते हैं ॥

लोग ज़िल्लत के कारनामों से ।
क़ौम को शर्मसार करते हैं ॥

साफ़ हमसे वो झूठ कहते हैं ।
और हम  एतबार करते हैं ॥

पास उनको ज़रा नहीं इसका ।
जिनपे हम जाँ निसार करते हैं ॥

उनकी तारीफ़  क्या ज़रा सी की ।
अब वो नख़रे हज़ार करते हैं ॥

दिलबरों से तू मत उलझ 'सैनी'।
ये बहुत बेक़रार  करते हैं ॥

डा०सुरेन्द्र सैनी  

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