पास आते ही तुम्हारे हो गया इक हादिसा ।
हम ठगे से रह गए जब दिल हुआ ये आपका ॥
दो घड़ी बैठूं मैं तेरे गेसुओं की छावँ में ।
आरज़ू कब होगी पूरी तू ज़रा मुझको बता ॥
दिल चुराकर यूँ तो मेरा खुश बहुत होंगे मगर ।
एक पहलू में इन्हें रक्खोगे कैसे तुम भला ॥
मौत की आहट सुनाई मुझको अब देने लगी ।
जीते जी सूरत तुम्हारी देख लूँ बस दिलरुबा ॥
ख़ाब में आते हो जब भी झट से खुल जाती है आँख ।
और रह जाता हूँ मैं बस देखता का देखता ॥
मैं नहीं चाहूँ कि पूरी ख़ाब की ताबीर हो ।
पर मुसलसल ख़ाब का चलता रहे ये सिलसिला ॥
नाम तेरा अब लबों पर आ ही जाता दफ़अतन ।
लोग कहते हैं की 'सैनी ' इश्क तुझको हो गया ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
हम ठगे से रह गए जब दिल हुआ ये आपका ॥
दो घड़ी बैठूं मैं तेरे गेसुओं की छावँ में ।
आरज़ू कब होगी पूरी तू ज़रा मुझको बता ॥
दिल चुराकर यूँ तो मेरा खुश बहुत होंगे मगर ।
एक पहलू में इन्हें रक्खोगे कैसे तुम भला ॥
मौत की आहट सुनाई मुझको अब देने लगी ।
जीते जी सूरत तुम्हारी देख लूँ बस दिलरुबा ॥
ख़ाब में आते हो जब भी झट से खुल जाती है आँख ।
और रह जाता हूँ मैं बस देखता का देखता ॥
मैं नहीं चाहूँ कि पूरी ख़ाब की ताबीर हो ।
पर मुसलसल ख़ाब का चलता रहे ये सिलसिला ॥
नाम तेरा अब लबों पर आ ही जाता दफ़अतन ।
लोग कहते हैं की 'सैनी ' इश्क तुझको हो गया ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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