कौन बस्ती उजाड़ बैठा है ।
सबसे रिश्ते बिगाड़ बैठा है ॥
एक दिन में फ़लक पे जा पहुँचा ।
एसा उसका जुगाड़ बैठा है ॥
प्यार में झिडकियां तो जायज़ हैं ।
पर मुझे वो लताड़ बैठा है ॥
अब सुलह क्या करेगा वो मुझसे ।
पिछली बातें उखाड़ बैठा है ॥
सामने अब तलक न आया है ।
बंद करके किवाड़ बैठा है ॥
आज शागिर्द बैत बाज़ी में ।
शायरों को पछाड़ बैठा है ॥
आफ़तों के हर एक रस्ते में ।
बन के 'सैनी' पहाड़ बैठा है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
सबसे रिश्ते बिगाड़ बैठा है ॥
एक दिन में फ़लक पे जा पहुँचा ।
एसा उसका जुगाड़ बैठा है ॥
प्यार में झिडकियां तो जायज़ हैं ।
पर मुझे वो लताड़ बैठा है ॥
अब सुलह क्या करेगा वो मुझसे ।
पिछली बातें उखाड़ बैठा है ॥
सामने अब तलक न आया है ।
बंद करके किवाड़ बैठा है ॥
आज शागिर्द बैत बाज़ी में ।
शायरों को पछाड़ बैठा है ॥
आफ़तों के हर एक रस्ते में ।
बन के 'सैनी' पहाड़ बैठा है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment