Tuesday, 17 September 2013

ख़ामोश इश्क़

हर क़दम फूंक-फूंक रखता है ।
प्यार भी नाप कर वो करताहै ॥

नाम क्या है कहाँ वो रहता है ।
रोज़ ही ये सवाल उठता है ॥

कुछ भी सुनता नहीं वो दोबारा ।
सारी बातों को याद रखता है ॥

उसकी मजबूरियों का क़ाइल  हूँ ।
हो के पर्दानशीं जो रह्ता है ॥

प्यार जब भी करूँ  कहे अक्सर ।
छोडो झंझट में कौन पड़ता है ॥

सोचता है कईं महीने वो ।
तब कहीं एक लफ्ज़ लिखता है ॥

तीर बातों के नुकीले उसके ।
ये दिले नातवाँ  ही सहता है ॥

उसके ख़ामोश इश्क़ में 'सैनी'।
दिल में रोता है दिल में हंसता है ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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