हर क़दम फूंक-फूंक रखता है ।
प्यार भी नाप कर वो करताहै ॥
नाम क्या है कहाँ वो रहता है ।
रोज़ ही ये सवाल उठता है ॥
कुछ भी सुनता नहीं वो दोबारा ।
सारी बातों को याद रखता है ॥
उसकी मजबूरियों का क़ाइल हूँ ।
हो के पर्दानशीं जो रह्ता है ॥
प्यार जब भी करूँ कहे अक्सर ।
छोडो झंझट में कौन पड़ता है ॥
सोचता है कईं महीने वो ।
तब कहीं एक लफ्ज़ लिखता है ॥
तीर बातों के नुकीले उसके ।
ये दिले नातवाँ ही सहता है ॥
उसके ख़ामोश इश्क़ में 'सैनी'।
दिल में रोता है दिल में हंसता है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
प्यार भी नाप कर वो करताहै ॥
नाम क्या है कहाँ वो रहता है ।
रोज़ ही ये सवाल उठता है ॥
कुछ भी सुनता नहीं वो दोबारा ।
सारी बातों को याद रखता है ॥
उसकी मजबूरियों का क़ाइल हूँ ।
हो के पर्दानशीं जो रह्ता है ॥
प्यार जब भी करूँ कहे अक्सर ।
छोडो झंझट में कौन पड़ता है ॥
सोचता है कईं महीने वो ।
तब कहीं एक लफ्ज़ लिखता है ॥
तीर बातों के नुकीले उसके ।
ये दिले नातवाँ ही सहता है ॥
उसके ख़ामोश इश्क़ में 'सैनी'।
दिल में रोता है दिल में हंसता है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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