Friday, 6 September 2013

मुस्कराहट का गहना

मुस्कराहट को गहना बना ।
ज़िंदगी से ग़मों को भगा ॥

इज्ज़तें ,शोहरतें ,ताकतें ।                              
इनके पीछे न ख़ुद को लगा ॥

आंच तुझ पर न कुछ आयेगी ।
ओढ़ ले दोस्तों की दुआ ॥

माँगता है क्यूँ तू और से ।
देने वाला है जब वो खुदा ॥

इश्क़  में मुब्तिला तो नहीं ।
आईने को ज़रा तू बता ।

तेरी  आँखें झुकी शर्म से ।                                          
जुर्म क्या आज तूने किया ॥

दूर शिकवे सभी आज कर ।
सामने आज 'सैनी' खडा ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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