मुस्कराहट को गहना बना ।
ज़िंदगी से ग़मों को भगा ॥
इज्ज़तें ,शोहरतें ,ताकतें ।
इनके पीछे न ख़ुद को लगा ॥
आंच तुझ पर न कुछ आयेगी ।
ओढ़ ले दोस्तों की दुआ ॥
माँगता है क्यूँ तू और से ।
देने वाला है जब वो खुदा ॥
इश्क़ में मुब्तिला तो नहीं ।
आईने को ज़रा तू बता ।
तेरी आँखें झुकी शर्म से ।
जुर्म क्या आज तूने किया ॥
दूर शिकवे सभी आज कर ।
सामने आज 'सैनी' खडा ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
ज़िंदगी से ग़मों को भगा ॥
इज्ज़तें ,शोहरतें ,ताकतें ।
इनके पीछे न ख़ुद को लगा ॥
आंच तुझ पर न कुछ आयेगी ।
ओढ़ ले दोस्तों की दुआ ॥
माँगता है क्यूँ तू और से ।
देने वाला है जब वो खुदा ॥
इश्क़ में मुब्तिला तो नहीं ।
आईने को ज़रा तू बता ।
तेरी आँखें झुकी शर्म से ।
जुर्म क्या आज तूने किया ॥
दूर शिकवे सभी आज कर ।
सामने आज 'सैनी' खडा ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment