मेरे जीवन को यूँ बेहाल बनाने वाले ।
आज पूछेंगे तेरा हाल ज़माने वाले ॥
खूब मिलते हैं मुझे लोग बनाने वाले ।
मुझसे शायर को भी ग़ालिब सा बताने वाले ॥
मेरी ग़ज़लों पे तेरी एक नज़र हो जाती ।
रोज़ की रोज़ मुझे अपनी सुनाने वाले ॥
अब समझ आयी है मुझको ये तेरी शैतानी ।
बातों-बातों में मेरे दिल को चुराने वाले ॥
तेरी महफ़िल से मुझे कोई उठा कर देखे ।
अब तलक आ चुके कितने ही उठाने वाले ॥
काश कुछ सीख लेता मैं भी हुनर लिखने का ।
अब तो मिलते नहीं उस्ताद सिखाने वाले ॥
अक़्ल आयी है अभी ज़िंदगी में 'सैनी' को ।
गीत लिखता है सभी होश उड़ाने वाले ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
आज पूछेंगे तेरा हाल ज़माने वाले ॥
खूब मिलते हैं मुझे लोग बनाने वाले ।
मुझसे शायर को भी ग़ालिब सा बताने वाले ॥
मेरी ग़ज़लों पे तेरी एक नज़र हो जाती ।
रोज़ की रोज़ मुझे अपनी सुनाने वाले ॥
अब समझ आयी है मुझको ये तेरी शैतानी ।
बातों-बातों में मेरे दिल को चुराने वाले ॥
तेरी महफ़िल से मुझे कोई उठा कर देखे ।
अब तलक आ चुके कितने ही उठाने वाले ॥
काश कुछ सीख लेता मैं भी हुनर लिखने का ।
अब तो मिलते नहीं उस्ताद सिखाने वाले ॥
अक़्ल आयी है अभी ज़िंदगी में 'सैनी' को ।
गीत लिखता है सभी होश उड़ाने वाले ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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